Sunday, March 15, 2009

Beautiful poems

In the normal course of surfing today, came across Avinash Kishore's blog. Below are two of his beautiful compositions. Hope you enjoy them...


सोंचा है आज तुमको सोने न दूँ

सोंचा है आज तुमको सोने न दूँ
बाँहों में भरूँ, दूर होने न दूँ
कितने अरमान हैं और ये इक रात है
रात को रोक लूँ , सुब्ह होने न दूँ

हर रात रीती की रीती ही रह जाती है
बात दिल की दिल में ही रह जाती है
आज दिल से उडेलूँ, आँखों में भरूँ
रात को रोक लूँ, सुब्ह होने न दूँ

खाब में आने का दिलासा न दे
ये रात फिर आएगी–झूठी आशा न दे
झूठी आशाओं को भी आज पूरा करुँ
रात को रोक लूँ, सुब्ह होने न दूँ



सबकुछ इतना मुश्किल क्यों है?

तुम्हारी आंखों में कुछ असंभव सपने छलकते हैं
मेरे होठों पे कुछ अदमित इक्षाएं बसती हैं
तुमसे दूर मेरा मन जरा भी नहीं लगता
साँसों से उलझने को मेरी साँसे तड़पती हैं|
सबकुछ इतना मुश्किल क्यों है?

तुम्हे भूलने को जी नहीं करता
निभाने की इजाज़त नहीं मिलती
तुम्हारे साथ आऊँ तो सब छूट जाते हैं
इतनी बड़ी कीमत चुकाने की मेरी हिम्मत नहीं पड़ती|
रिश्ते इतने महंगे क्यों हैं? दिल ऐसा व्यवसायी क्यों है?

इक उम्र के इंतज़ार के बाद आई हो
दो घड़ी और साथ तो दो
दो घड़ियों में ही बाकी उम्र निकल जाए,
ऐसी कोई बात तो हो|
असंभव की आस क्यों हो जाती है?

जो चले गए लौट कर कहाँ आते हैं?
दो घड़ी में उम्र कहाँ गुजर पाती है?
कभी-कभी ही सच होते हैं सपने,
उम्मीद रोज़ कहाँ बर आती है|
भरम टूट क्यों जाते हैं?